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श्लोक 159
श्लोक
1.5.159
বেদ-গুহ্য কথা এই অযোগ্য কহিতে
তথাপি কহিযে তাঙ্র কৃপা প্রকাশিতে
वेद - गुह्य कथा एइ अयोग्य कहिते ।
तथापि कहिये ताँर कृपा प्रकाशिते ॥159॥
अनुवाद
ऐसे रहस्य को उजागर करना उचित नहीं होगा, क्योंकि यह वेदों के समान ही गोपनीय रहना चाहिए। फिर भी, मैं इसे उजागर करूंगा, जिससे उनकी दया और करुणा सबको ज्ञात हो जाए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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