श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ  »  श्लोक 136
 
 
श्लोक  1.5.136 
বৃষ হঞা কৃষ্ণ-সনে মাথা-মাথি রণ
কভু কৃষ্ণ করে তাঙ্র পাদ-সṁবাহন
वृष हञा कृष्ण - सने माथा - माथि रण ।
कभु कृष्ण करे ताँर पाद - संवाहन ॥136॥
 
अनुवाद
भगवान बलराम कृष्ण के साथ माथे से माथा मिलाकर बैल की तरह लड़ते हैं। और कभी-कभी भगवान कृष्ण बलरामजी के चरण दबाते हैं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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