श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ  »  श्लोक 131
 
 
श्लोक  1.5.131 
কৃষ্ণ যবে অবতরে সর্বাṁশ-আশ্রয
সর্বাṁশ আসি’ তবে কৃষ্ণেতে মিলয
कृष्ण यबे अवतरे सर्वांश - आश्रय ।
सर्वांश आ सि’ तबे कृष्णेते मिलय ॥131॥
 
अनुवाद
जब पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान कृष्ण अवतरित होते हैं तो वे सभी पूर्ण अंशों के आश्रय होते हैं। इस तरह उस समय उनके सारे पूर्ण अंश उनके साथ मिलकर एक हो जाते हैं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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