श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ  »  श्लोक 128
 
 
श्लोक  1.5.128 
অবতার-অবতারী — অভেদ, যে জানে
পূর্বে যৈছে কৃষ্ণকে কেহো কাহো করি’ মানে
अवतार - अवतारी - अभेद, ये जाने ।
पूर्वे यैछे कृष्णके केहो काहो करि’ माने ॥128॥
 
अनुवाद
वे जानते हैं कि अवतार और सभी अवतारों का स्रोत एक ही है और उनके बीच कोई भेद नहीं होता। पहले भगवान कृष्ण को अलग-अलग लोग अलग-अलग सिद्धांतों के सन्दर्भ में समझते थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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