श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ  »  श्लोक 114
 
 
श्लोक  1.5.114 
দেব-গণে না পায যাঙ্হার দরশন
ক্ষীরোদক-তীরে যাই’ করেন স্তবন
देव - गणे ना पाय याँहार दरशन ।
क्षीरोदक - तीरे याइ’ करेन स्तवन ॥114॥
 
अनुवाद
दर्शन न मिल पाने पर, देवता क्षीर सागर के किनारे जाते हैं और उसकी स्तुति करते हैं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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