श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 4: श्री चैतन्य महाप्रभु के प्राकट्य के गुह्य कारण  »  श्लोक 93
 
 
श्लोक  1.4.93 
কিম্বা ‘কান্তি’-শব্দে কৃষ্ণের সব ইচ্ছা কহে
কৃষ্ণের সকল বাঞ্ছা রাধাতেই রহে
किम्वा ‘कान्ति’ - शब्दे कृष्णेर सब इच्छा कहे ।
कृष्णेर सकल वाञ्छा राधातेइ रहे ॥93॥
 
अनुवाद
"कांति" शब्द का एक और अर्थ हो सकता है - "भगवान कृष्ण की सभी अभिलाषाएँ।" भगवान कृष्ण की सभी अभिलाषाएँ श्रीमती राधारानी में ही पूरी होती हैं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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