श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 4: श्री चैतन्य महाप्रभु के प्राकट्य के गुह्य कारण  »  श्लोक 83
 
 
श्लोक  1.4.83 
দেবী কৃষ্ণ-মযী প্রোক্তা
রাধিকা পর-দেবতা
সর্ব-লক্ষ্মী-মযী সর্ব-
কান্তিঃ সম্মোহিনী পরা
देवी कृष्ण - मयी प्रोक्ता राधिका पर - देवता ।
सर्व - लक्ष्मी - मयी सर्व - कान्तिः सम्मोहिनी परा ॥83॥
 
अनुवाद
दिव्य देवी श्रीमती राधारानी भगवान् श्रीकृष्ण की ठीक-ठीक प्रतिरूप हैं। वे समस्त लक्ष्मियों में केन्द्रीय हस्ती हैं। वे सर्व - आकर्षक परमात्मा को आकर्षित करने के सारे आकर्षणों से युक्त हैं। वे भगवान् की मूल आंतरिक शक्ति हैं।
 
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.