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श्लोक 1.4.78  |
লক্ষ্মী-গণ তাঙ্র বৈভব-বিলাসাṁশ-রূপ
মহিষী-গণ বৈভব-প্রকাশ-স্বরূপ |
लक्ष्मी - गण ताँर वैभव - विलासांश - रूप ।
महिषी - गण वैभव - प्रकाश - स्वरूप ॥78॥ |
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अनुवाद |
लक्ष्मियाँ उनकी पूर्ण अंश हैं और वे वैभवविलास की विविधताओं को दर्शाती हैं। रानियाँ उनके वैभव के प्रकाश के रूप हैं। |
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