श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 4: श्री चैतन्य महाप्रभु के प्राकट्य के गुह्य कारण  »  श्लोक 76
 
 
श्लोक  1.4.76 
অবতারী কৃষ্ণ যৈছে করে অবতার
অṁশিনী রাধা হৈতে তিন গণের বিস্তার
अवतारी कृष्ण यैछे करे अवतार ।
अंशिनी राधा हैते तिन गणेर विस्तार ॥76॥
 
अनुवाद
जिस तरह सारे अवतारों के कारण स्रोत - रूप भगवान् कृष्ण हैं, उसी तरह श्री राधा इन समस्त प्रेमिकाओं की कारण हैं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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