श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 4: श्री चैतन्य महाप्रभु के प्राकट्य के गुह्य कारण  »  श्लोक 59
 
 
श्लोक  1.4.59 
রাধিকা হযেন কৃষ্ণের প্রণয-বিকার
স্বরূপ-শক্তি — ‘হ্লাদিনী’ নাম যাঙ্হার
राधिका हयेन कृष्णेर प्रणय - विकार।
स्वरूप - शक्ति - ‘ह्लादिनी’ नाम याँहार ॥59॥
 
अनुवाद
श्रीमती राधिका, कृष्ण के प्रेम का ही रूपान्तर हैं | वे उनकी आंतरिक ऊर्जा ह्लादिनी के नाम से जानी जाती हैं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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