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श्लोक 32
श्लोक
1.4.32
এই সব রস-নির্যাস করিব আস্বাদ
এই দ্বারে করিব সব ভক্তেরে প্রসাদ
एइ सब रस - निर्यास करिब आस्वाद ।
एइ द्वारे करिब सब भक्तेरे प्रसाद ॥32॥
अनुवाद
मैं सभी रसों के सार का आनंद लूँगा और इस तरह से सभी भक्तों पर कृपा करूँगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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