श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 4: श्री चैतन्य महाप्रभु के प्राकट्य के गुह्य कारण  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  1.4.31 
ধর্ম ছাডি’ রাগে দুঙ্হে করযে মিলন
কভু মিলে, কভু না মিলে, — দৈবের ঘটন
धर्म छा ड़ि’ रागे दुँहे करये मिलन ।
कभु मिले, कभु ना मिले, - दैवेर घटन ॥31॥
 
अनुवाद
पवित्र प्रेम हमें सही-गलत व धार्मिक कर्तव्यों से बढ़कर जोड़कर रखेगा। किस्मत कभी हमे मिला देगी तो कभी दूर कर देगी।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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