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श्लोक 1.4.268  |
রাধা-ভাব অঙ্গীকরি’ ধরি’ তার বর্ণ
তিন-সুখ আস্বাদিতে হব অবতীর্ণ |
राधा - भाव अङ्गीकरि’ धरि’ तार वर्ण ।
तिन - सुख आस्वादिते हब अवतीर्ण ॥268॥ |
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अनुवाद |
इसलिए, राधारानी की भावनाओं और उनके शारीरिक रंग को धारण करके, मैं इन तीनों इच्छाओं को पूरा करने के लिए अवतरित होऊंगा। |
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