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श्लोक 251
श्लोक
1.4.251
পরস্পর বেণু-গীতে হরযে চেতন
মোর ভ্রমে তমালেরে করে আলিঙ্গন
परस्पर वेणु - गीते हरये चेतन ।
मोर भ्रमे तमालेरे करे आलिङ्गन ॥251॥
अनुवाद
बाँसों के आपस में रगड़ने से जो बाँसुरी के जैसे मधुर संगीत की आवाज आती है, राधारानी की चेतना को चुरा लेती है, क्योंकि वह इसे मेरी बाँसुरी की ध्वनि समझती है। और मेरे भ्रम में वह एक तामल के पेड़ को गले लगा लेती है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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