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श्लोक 1.4.235  |
অভক্ত-উষ্ট্রের ইথে না হয প্রবেশ
তবে চিত্তে হয মোর আনন্দ-বিশেষ |
अभक्त - उष्टेर इथे ना हय प्रवेश ।
तबे चित्ते हय मोर आनन्द - विशेष ॥235॥ |
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अनुवाद |
ऊँट जैसे अभक्त इन प्रकरणों में प्रवेश नहीं कर सकते। इसलिए मेरे मन में विशेष प्रसन्नता है। |
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