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श्लोक 1.4.233  |
হৃদযে ধরযে যে চৈতন্য-নিত্যানন্দ
এ-সব সিদ্ধান্তে সেই পাইবে আনন্দ |
हृदये धरये ये चैतन्य - नित्यानन्द ।
ए - सब सिद्धान्ते सेइ पाइबे आनन्द ॥233॥ |
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अनुवाद |
जिस किसी ने श्री चैतन्य महाप्रभु तथा श्री नित्यानन्द प्रभु को अपने हृदय में बसाय लिया है, वह इन सभी दिव्य सिद्धान्तों को सुनकर परम आनन्द की प्राप्ति करेगा। |
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