श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 4: श्री चैतन्य महाप्रभु के प्राकट्य के गुह्य कारण  »  श्लोक 214
 
 
श्लोक  1.4.214 
সেই গোপী-গণ-মধ্যে উত্তমা রাধিকা
রূপে, গুণে, সৌভাগ্যে, প্রেমে সর্বাধিকা
सेइ गोपी - गण - मध्ये उत्तमा राधिका ।
रूपे, गुणे, सौभाग्ये, प्रेमे सर्वाधिका ॥214॥
 
अनुवाद
गोपियों में श्रीमती राधिका सर्वश्रेष्ठ हैं। वह सौंदर्य, सद्गुण, सौभाग्य और सबसे बढ़कर प्रेम में सबसे श्रेष्ठ हैं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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