श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 4: श्री चैतन्य महाप्रभु के प्राकट्य के गुह्य कारण  »  श्लोक 189
 
 
श्लोक  1.4.189 
এ বিরোধের এক মাত্র দেখি সমাধান
গোপিকার সুখ কৃষ্ণ-সুখে পর্যবসান
ए विरोधेर एक मात्र देखि समाधान ।
गोपिकार सुख कृष्ण - सुखे पर्यवसान ॥189॥
 
अनुवाद
इस विरोध की मैं केवल एक ही व्याख्या कर पाता हूँ: गोपियों का सुख उनके प्रिय कृष्ण के सुख में निहित है।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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