श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 4: श्री चैतन्य महाप्रभु के प्राकट्य के गुह्य कारण  »  श्लोक 175
 
 
श्लोक  1.4.175 
কৃষ্ণ লাগি’ আর সব করে পরিত্যাগ
কৃষ্ণ-সুখ-হেতু করে শুদ্ধ অনুরাগ
कृष्ण लागि’ आर सब करे परित्याग ।
कृष्ण - सुख - हेतु करे शुद्ध अनुराग ॥175॥
 
अनुवाद
उन्होंने कृष्ण के चरणों में अपना सब कुछ समर्पित कर दिया है। उनका प्रेम कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए है।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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