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श्लोक 1.4.172  |
অতএব গোপী-গণের নাহি কাম-গন্ধ
কৃষ্ণ-সুখ লাগি মাত্র, কৃষ্ণ সে সম্বন্ধ |
अतएव गोपी - गणेर नाहि काम - गन्ध ।
कृष्ण - सुख लागि मात्र, कृष्ण से सम्बन्ध ॥172॥ |
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अनुवाद |
गोपियों के प्रेम में काम का कोई लेशमात्र भी दोष नहीं है। कृष्ण के साथ उनका संबंध केवल उसके आनंद के लिए है। |
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