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श्लोक 158
श्लोक
1.4.158
কৃষ্ণের মাধুর্যে কৃষ্ণে উপজয লোভ
সম্যক্ আস্বাদিতে নারে, মনে রহে ক্ষোভ
कृष्णेर माधुर्ये कृष्णे उपजय लोभ ।
सम्यकास्वादिते नारे, मने रहे क्षोभ ॥158॥
अनुवाद
भगवान कृष्ण की सुंदरता उन्हें ही अपनी ओर खींचती है। परंतु, उसका पूर्णरूप से आनंद न ले पाने के कारण, उनका मन उदास रहता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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