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श्लोक 1.4.133  |
বিষয-জাতীয সুখ আমার আস্বাদ
আমা হৈতে কোটি-গুণ আশ্রযের আহ্লাদ |
विषय - जातीय सुख आमार आस्वाद ।
आमा हैते कोटि - गुण आश्रयेर आह्लाद ॥133॥ |
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अनुवाद |
“मैं उस आनंद का अनुभव करता हूं जो प्रेम के पात्र के लिए सर्वथा उपयुक्त है। किन्तु उस प्रेम की आधार राधा का आनंद करोड़ों गुना अधिक है।” |
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