|
|
|
श्लोक 1.4.117  |
বাচা সূচিত-শর্বরী-রতি-কলা-প্রাগল্ভ্যযা রাধিকাṁ
ব্রীডা-কুঞ্চিত-লোচনাṁ বিরচযন্ন্ অগ্রে সখীনাম্ অসৌ
তদ্-বক্ষো-রুহ-চিত্র-কেলি-মকরী-পাণ্ডিত্য-পারṁ গতঃ
কৈশোরṁ সফলী-করোতি কলযন্ কুঞ্জে বিহারṁ হরিঃ |
वाचा सूचित - शर्वरी - रति - कला - प्रागल्भ्यया राधिका व्रीड़ा - कुञ्चित - लोचनां विरचयन्नग्रे सखीनामसौ ।
तद्वक्षो - रुह - चित्र - केलि - मकरी - पाण्डित्य - पारं गतः कैशोरं सफली - करोति कलयन्कुले विहारं हरिः ॥117॥ |
|
अनुवाद |
जब भगवान् कृष्ण ने राधा के साथ बिताई रात की लीलाओं का वर्णन उनकी सखियों के सामने किया तो राधा शर्म से अपनी आँखें बंद कर लीं। तब भगवान् ने बड़ी चतुराई से उनके वक्ष पर मछलियाँ खींच दीं। इस प्रकार भगवान् हरी ने राधा और उनकी सखियों के साथ लताओं से घिरे कुंज में अपनी यौवन अवस्था को सफल बनाया। |
|
|
|
✨ ai-generated |
|
|