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श्लोक 1.4.110  |
যবে যেই ভাব উঠে প্রভুর অন্তর
সেই গীতি-শ্লোকে সুখ দেন দামোদর |
यबे येइ भाव उठे प्रभुर अन्तर ।
सेइ गीति - श्लोके सुख देन दामोदर ॥110॥ |
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अनुवाद |
जब उनके मन में कोई विशेष भाव आता था, तब स्वरूप दामोदर उसी तरह का गीत गाकर या श्लोक सुनाकर उन्हें संतुष्ट कर देते थे। |
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