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श्लोक 1.3.72  |
অদ্বৈত, নিত্যানন্দ — চৈতন্যের দুই অঙ্গ
অঙ্গের অবযব-গণ কহিযে উপাঙ্গ |
अद्वैत, नित्या नन्द - चैतन्येर दुइ अङ्ग ।
अङ्गेर अवयव - गण कहिये उपाङ्ग ॥72॥ |
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अनुवाद |
श्री अद्वैत प्रभु और श्री नित्यानन्द प्रभु दोनों ही चैतन्य महाप्रभु के पूर्ण अंश हैं। इस प्रकार वे उनके शरीर के अंग हैं। इन दोनों अंगों के हिस्सों को उपांग कहा जाता है। |
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