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श्लोक 32
श्लोक
1.3.32
প্রথম লীলায তাঙ্র ‘বিশ্বম্ভর’ নাম
ভক্তি-রসে ভরিল, ধরিল ভূত-গ্রাম
प्रथम लीलाय ताँर ‘विश्वम्भ र’ नाम ।
भक्ति - रसे भरिल, धरिल भूत - ग्राम ॥32॥
अनुवाद
अपनी शुरुआती लीलाओं में, उन्हें विश्वम्भर के नाम से जाना जाता था, क्योंकि वह संसार को भक्ति के अमृत से भर देते थे और इस तरह जीवों को बचाते थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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