श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 3: श्री चैतन्य महाप्रभु के प्राकट्य के बाह्य कारण  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  1.3.30 
চৈতন্য-সিṁহের নবদ্বীপে অবতার
সিṁহ-গ্রীব, সিṁহ-বীর্য, সিṁহের হুঙ্কার
चैतन्य - सिंहेर नवद्वीपे अवतार ।
सिंह - ग्रीव, सिंह - वीर्य, सिंहेर हुङ्कार ॥30॥
 
अनुवाद
इस प्रकार सिंहरूप भगवान् चैतन्य नवद्वीप में प्रगट हुए हैं। उनके कंधे शेर जैसे हैं, उनकी शक्ति शेर जैसी है और उनका ऊँचा स्वर शेर जैसा है।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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