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श्लोक 1.3.14  |
চির-কাল নাহি করি প্রেম-ভক্তি দান
ভক্তি বিনা জগতের নাহি অবস্থান |
चिर - काल नाहि करि प्रेम - भक्ति दान ।
भक्ति विना जगतेर नाहि अवस्थान ॥14॥ |
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अनुवाद |
"बहुत लंबे समय से मैंने अपनी बिना शर्त प्यार और सेवा विश्व के निवासियों पर नहीं उंडेली है। ऐसी प्रेममयी लगाव के बिना, भौतिक दुनिया का अस्तित्व व्यर्थ है।" |
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