श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 3: श्री चैतन्य महाप्रभु के प्राकट्य के बाह्य कारण  »  श्लोक 103
 
 
श्लोक  1.3.103 
কৃষ্ণ বশ করিবেন কোন্ আরাধনে
বিচারিতে এক শ্লোক আইল তাঙ্র মনে
कृष्ण वश करिबेन कोनाराधने ।
विचारिते एक श्लोक आइल ताँर मने ॥103॥
 
अनुवाद
जब वे पूजा से कृष्ण को प्रसन्न करने के विषय में विचार कर रहे थे, तभी उनके मन में निम्नलिखित श्लोक आया।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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