श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 2: पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् श्री चैतन्य महाप्रभु  »  श्लोक 89
 
 
श्लोक  1.2.89 
দীপ হৈতে যৈছে বহু দীপের জ্বলন
মূল এক দীপ তাহা করিযে গণন
दीप हैते यैछे बहु दीपेर ज्वलन ।
मूल एक दीप ताहा करिये गणन ॥89॥
 
अनुवाद
जब एक दीया कई अन्य दिए जलाता है, तो मैं उस दीए को ही आदि दीया मानता हूँ।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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