श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 2: पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् श्री चैतन्य महाप्रभु  »  श्लोक 79
 
 
श्लोक  1.2.79 
তৈছে ইঙ্হ অবতার সব হৈল জ্ঞাত
কার অবতার? — এই বস্তু অবিজ্ঞাত
तैछे इँह अवतार सब हैल ज्ञात ।
कार अवतार ? - एइ वस्तु अविज्ञात ॥79॥
 
अनुवाद
इसी प्रकार, ये सारे अवतार तो जाने जाते थे, लेकिन वे किसके अवतार हैं, यह कोई नहीं जानता था।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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