श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 2: पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् श्री चैतन्य महाप्रभु  »  श्लोक 70
 
 
श्लोक  1.2.70 
অবতার সব — পুরুষের কলা, অṁশ
স্বযṁ-ভগবান্ কৃষ্ণ সর্ব-অবতṁস
अवतार सब - पुरुषेर कला, अंश ।
स्वयं - भगवान्कृष्ण सर्व - अवतंस ॥70॥
 
अनुवाद
ईश्वर के सभी अवतार या तो पूर्ण अंश अवतारों (पुरुष अवतारों) के पूर्ण अंश हैं या पूर्ण अंशों के अंश हैं, लेकिन आदि भगवान तो स्वयं श्रीकृष्ण हैं। वे पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान हैं, सभी अवतारों के स्रोत हैं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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