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श्लोक 1.2.67  |
এতে চাṁশ-কলাঃ পুṁসঃ
কৃষ্ণস্ তু ভগবান্ স্বযম্
ইন্দ্রারি-ব্যাকুলṁ লোকṁ
মৃডযন্তি যুগে যুগে |
एते चांश - कलाः पुंसः कृष्णस्तु भगवान्स्वयम् ।
इन्द्रारि - व्याकुलं लोकं मृड़यन्ति युगे युगे ॥67॥ |
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अनुवाद |
ये समस्त अवतार भगवान के पूर्ण विस्तार या पूर्ण विस्तारों के अंश हैं। किंतु कृष्ण स्वयं पूर्ण ईश्वर हैं। प्रत्येक युग में जब-जब इंद्र के शत्रु संसार को व्यथित करते हैं, तब-तब वे अपने विविध रूपों के माध्यम से संसार की रक्षा करते हैं। |
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