श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 2: पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् श्री चैतन्य महाप्रभु  »  श्लोक 64
 
 
श्लोक  1.2.64 
শুন ভাই এই শ্লোক করহ বিচার
এক মুখ্য-তত্ত্ব, তিন তাহার প্রচার
शुन भाइ एइ श्लोक करह विचार ।
एक मुख्य - तत्त्व, तिन ताहार प्रचार ॥64॥
 
अनुवाद
मेरे भाइयों, कृपा करके इस श्लोक की व्याख्या सुनिए और इसके अर्थ पर ध्यान दीजिए : एक मूल सत्ता को तीन अलग-अलग विशेषताओं में जाना जाता है।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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