श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 2: पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् श्री चैतन्य महाप्रभु  »  श्लोक 50
 
 
श्लोक  1.2.50 
সেই তিন জল-শাযী সর্ব-অন্তর্যামী
ব্রহ্মাণ্ড-বৃন্দের আত্মা যে পুরুষ-নামী
सेइ तिन जल - शायी सर्व - अन्तर्यामी ।
ब्रह्माण्ड - वृन्देर आत्मा ये पुरुष - नामी ॥50॥
 
अनुवाद
"पानी में शयन करने वाले ये तीनों विष्णु सबके परमात्मा हैं। सभी ब्रह्मांडों के परमात्मा को प्रथम पुरुष के नाम से जाना जाता है।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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