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श्लोक 1.2.50  |
সেই তিন জল-শাযী সর্ব-অন্তর্যামী
ব্রহ্মাণ্ড-বৃন্দের আত্মা যে পুরুষ-নামী |
सेइ तिन जल - शायी सर्व - अन्तर्यामी ।
ब्रह्माण्ड - वृन्देर आत्मा ये पुरुष - नामी ॥50॥ |
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अनुवाद |
"पानी में शयन करने वाले ये तीनों विष्णु सबके परमात्मा हैं। सभी ब्रह्मांडों के परमात्मा को प्रथम पुरुष के नाम से जाना जाता है।" |
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