কৃষ্ণ কহেন — ব্রহ্মা, তোমার না বুঝি বচন
জীব-হৃদি, জলে বৈসে সেই নারাযণ
कृष्ण कहेन - ब्रह्मा, तोमार ना बुझि वचन ।
जीव - हृदि, जले वैसे सेइ नारायण ॥47॥
अनुवाद
कृष्ण ने कहा, "हे ब्रह्मा! आप जो कह रहे हैं, उसे मैं समझ नहीं पा रहा हूँ। भगवान् नारायण ही सब प्राणियों के हृदय में वास करते हैं और कारण सागर के पानी में शयन करते हैं।"