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श्लोक 1.2.45  |
তোমার দর্শনে সর্ব জগতের স্থিতি
তুমি না দেখিলে কারো নাহি স্থিতি গতি |
तोमार दर्शने सर्व जगतेर स्थिति ।
तुमि ना देखिले कारो नाहि स्थिति गति ॥45॥ |
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अनुवाद |
“सारे संसार इसीलिए विद्यमान हैं क्योंकि आपकी दृष्टि उन पर बनी रहती है। आपकी निगरानी के बिना कोई भी जीवित नहीं रह सकता, न ही कोई गति कर सकता है और न ही अपना अस्तित्व बनाए रख सकता है। |
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