श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 17: चैतन्य महाप्रभु की युवावस्था की लीलाएँ  »  श्लोक 98
 
 
श्लोक  1.17.98 
এত বলি’ শ্রীবাস করিল সেবন
তুষ্ট হঞা প্রভু আইলা আপন-ভবন
एत बलि’ श्रीवास करिल सेवन ।
तुष्ट हञा प्रभु आइला आपन - भवन ॥98॥
 
अनुवाद
इतना कह कर श्रीवास ठाकुर ने प्रभु की पूजा की जिससे वे अति प्रसन्न होकर अपने घर चले गए।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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