श्रीवासे कहेन प्रभु करिया विषाद ।
लोक भय पाय , - मोर हय अपराध ॥95॥
अनुवाद
महाप्रभु खिन्न हुए और उन्होंने श्रीवास ठाकुर से कहा, “जब मैंने भगवान् नृसिंह देव का आवेश धारण किया, तो लोग बहुत भयभीत हो उठे, अतएव मैं रुक गया, क्योंकि लोगों में भय उत्पन्न करना अपराध है।”