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श्लोक 1.17.61  |
ফিরি’ গেল বিপ্র ঘরে মনে দুঃখ পাঞা
আর দিন প্রভুকে কহে গঙ্গায লাগ পাঞা |
फिरि’ गेल विप्र घरे मने दुःख पाञा ।
आर दिन प्रभुके कहे गङ्गाय लाग पाञा ॥61॥ |
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अनुवाद |
वह दुःखी मन से घर लौट आया, किन्तु अगले ही दिन गंगा के तट पर महाप्रभु से मिला तो उनसे बोला। |
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