श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 17: चैतन्य महाप्रभु की युवावस्था की लीलाएँ  »  श्लोक 61
 
 
श्लोक  1.17.61 
ফিরি’ গেল বিপ্র ঘরে মনে দুঃখ পাঞা
আর দিন প্রভুকে কহে গঙ্গায লাগ পাঞা
फिरि’ गेल विप्र घरे मने दुःख पाञा ।
आर दिन प्रभुके कहे गङ्गाय लाग पाञा ॥61॥
 
अनुवाद
वह दुःखी मन से घर लौट आया, किन्तु अगले ही दिन गंगा के तट पर महाप्रभु से मिला तो उनसे बोला।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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