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श्लोक 1.17.40  |
মদ্য-ভাণ্ড-পাশে ধরি’ নিজ-ঘরে গেল
প্রাতঃ-কালে শ্রীবাস তাহা ত’ দেখিল |
मद्य - भाण्ड - पाशे ध रि’ निज - घरे गेल ।
प्रातःकाले श्री वास ताहा त’ देखिल ॥40॥ |
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अनुवाद |
उसने इस सामग्री के पास एक मदिरा का घड़ा रख दिया था। सुबह जब श्रीवास ठाकुर ने अपना दरवाजा खोला, तो उन्हें सारा सामान दिखाई दिया। |
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