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श्लोक 1.17.34  |
তবে প্রভু শ্রীবাসের গৃহে নিরন্তর
রাত্রে সঙ্কীর্তন কৈল এক সṁবত্সর |
तबे प्रभु श्रीवासेर गृहे निरन्तर ।
रात्रे सङ्कीर्तन कैल एक संवत्सर ॥34॥ |
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अनुवाद |
श्री चैतन्य महाप्रभु ने श्रीवास ठाकुर के घर पर पूरे एक वर्ष तक हर रात नियमित रूप से हरे कृष्ण महामंत्र का जप किया। |
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