श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 17: चैतन्य महाप्रभु की युवावस्था की लीलाएँ  »  श्लोक 332
 
 
श्लोक  1.17.332 
যে যেই অṁশ কহে, শুনে সেই ধন্য
অচিরে মিলিবে তারে শ্রী-কৃষ্ণ-চৈতন্য
ये येइ अंश कहे, शुने सेइ धन्य ।
अचिरे मिलिबे तारे श्री - कृष्ण - चैतन्य ॥332॥
 
अनुवाद
कोई भी व्यक्ति, जो इस विस्तृत विषय के किसी भी अंश को बोलता या सुनता है, उसे शीघ्र ही श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु की निस्वार्थ दया प्राप्त होगी।
 
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.