श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 17: चैतन्य महाप्रभु की युवावस्था की लीलाएँ  »  श्लोक 319
 
 
श्लोक  1.17.319 
ষষ্ঠ পরিচ্ছেদে ‘অদ্বৈত-তত্ত্বে’র বিচার
অদ্বৈত-আচার্য — মহা-বিষ্ণু-অবতার
षष्ठ परिच्छेदे ‘अद्वैत तत्त्वे’र विचार ।
अद्वैत - आचार्य महा - विष्णु - अवतार ॥319॥
 
अनुवाद
छठवें अध्याय में अद्वैत आचार्य के सत्य स्वरूप के विषय पर विचार किया गया है। वह महाविष्णु के अवतार हैं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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