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श्लोक 1.17.314  |
দ্বিতীয পরিচ্ছেদে ‘চৈতন্য-তত্ত্ব-নিরূপণ’
স্বযṁ ভগবান্ যেই ব্রজেন্দ্র-নন্দন |
द्वितीय परिच्छेदे ‘चैतन्य - तत्त्व - निरूपण’ ।
स्वयं भगवान् येइ व्रजेन्द्र - नन्दन ॥314॥ |
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अनुवाद |
दूसरे अध्याय में श्री चैतन्य महाप्रभु के वास्तविक स्वरूप के बारे में बताया गया है, जो पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान कृष्ण हैं, जो महाराज नंद के पुत्र हैं। |
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