সদা নাম ল-ইব, যথা-লাভেতে সন্তোষ
এইত আচার করে ভক্তি-ধর্ম-পোষ
सदा नाम लइब, यथा - लाभेते सन्तोष ।
एइत आचार करे भक्ति - धर्म - पोष ॥30॥
अनुवाद
मनुष्य को हमेशा नाम-कीर्तन का सिद्धान्त दृढ़ता से मानना चाहिए और जो कुछ भी सरलता से मिल जाए, उसी से संतुष्ट हो जाना चाहिए। ऐसे भक्तिमय व्यवहार से उसकी भक्ति दृढ़ता से बनी रहती है।