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श्लोक 28
श्लोक
1.17.28
কাটিলেহ তরু যেন কিছু না বোলয
শুকাইযা মরে, তবু জল না মাগয
काटिलेह तरु येन किछु ना बोलय ।
शुकाइया मरे, तबु जल ना मागय ॥28॥
अनुवाद
किसी को भी पेड़ काटने पर, वह विरोध नही करता है, सूखने या मरने पर भी वह किसी से पानी की भीख नही मांगता।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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