|
|
|
श्लोक 1.17.275  |
যশোদা-নন্দন হৈলা শচীর নন্দন
চতুর্-বিধ ভক্ত-ভাব করে আস্বাদন |
यशोदा - नन्दन हैला शचीर नन्दन ।
चतुर्विध भक्त - भाव करे आस्वादन ॥275॥ |
|
अनुवाद |
माता शची के लाल और माता यशोदा के लाल तो बस पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान के अलग-अलग अवतार हैं, जो अब चार तरह की भक्ति का आनंद ले रहे हैं। |
|
|
|
✨ ai-generated |
|
|