প্রভুর নিন্দায সবার বুদ্ধি হৈল নাশ
সুপঠিত বিদ্যা কারও না হয প্রকাশ
प्रभुर निन्दाय सबार बुद्धि हैल नाश ।
सुपठित विद्या कारओ ना हय प्रकाश ॥257॥
अनुवाद
जब सभी छात्रों ने श्री चैतन्य महाप्रभु की निंदा करते हुए ऐसा निश्चय किया, तब उनकी विवेकी बुद्धि नष्ट हो गई। यद्यपि वे सभी विद्वान थे, परन्तु इस अपराध के कारण उनमें ज्ञान का सार प्रकट नहीं हो रहा था।