श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 17: चैतन्य महाप्रभु की युवावस्था की लीलाएँ  »  श्लोक 189
 
 
श्लोक  1.17.189 
আসি’ কহে, — গেলুঙ্ মুঞি কীর্তন নিষেধিতে
অগ্নি উল্কা মোর মুখে লাগে আচম্বিতে
आसि’ कहे, - गेलु मुनि कीर्तन निषेधिते ।
अग्नि उल्का मोर मुखे लागे आचम्बिते ॥189॥
 
अनुवाद
जब मैं उसके पास पहुँचा, तो अर्दली ने कहा, "जब मैं भजन-कीर्तन रोकने गया, तो अचानक मेरे चेहरे पर आग की लपटें आ गईं।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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